कन्हैया लाल मुंशीलाल हिंदी एवं भाषा विज्ञान विद्यापीठ ,डॉ .भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय,आगरा में 15 दिवसीय संस्कृतविज्ञान प्रदर्शनी एवं संस्कृत संभाषण प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया है । यह बहुत ही प्रसंशनीय कार्य है। रोज संभाषण की कक्षा में जाकर अत्यंत गौरव की अनुभूति होती है ।वहाँ विद्वानों और विदुषी के ज्ञानवर्धक और बहुत प्रेरक विचार जानने का अवसर भी प्राप्त होता है। जो कि मेरे लिए बहुत ही हर्ष का विषय है।जैसे प्राचीन समय में हमारे देश के पशु - पक्षी भी संस्कृत में बात करते थे,और कहते हैँ संस्कृत सभी भाषाओं का उद्गम स्थल है अर्थात् जननी है तो जिस प्रकार माता - पिता यदि बहुत वृद्ध भी हो जाएँ तो भी उनकी आवश्यकता हमारे लिए बिल्कुल भी कम नहीं होती उसी प्रकार जो संस्कृत की उपयोगिता है वह सदैव बनी रहेगी । संस्कृत भाषा को आज कई विदेशी विद्वानों ने अपनी आजीविका के साधनों में मुख्य स्थान दिया है।विदेशी जन इस समृद्ध भाषा का लाभ उठा रहे हैँ। किसी अंग्रेजी विद्वान ने तो शिव पुराण को अंग्रेजी भाषा में अनुवाद करके अरबों की संपत्ति अर्जित की है।ये सभी बिंदु विद्वजनों के प्रेरक विचारों के कुछ अंश हैँ जो मैंने आपके साथ बांटने का प्रयास किया है ।विज्ञान किस तरह संस्कृत भाषा में पहले से ही विद्यमान है वह मुझे संस्कृतविज्ञान प्रदर्शनी देखने पर ज्ञात हुआ। जो मैं अवश्य साझा करुँगी।