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गुरुवार, 8 मार्च 2018

अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मैं हूँ नारी . . . . . . मैं हूँ स्वार्थी . . . . .


आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर चारों और एक त्यौहार जैसा दृश्य  है | चाहे फेसबुक हो , चाहे  ट्विटर हो या व्हट्सप हर और लोग एक दूसरे को  अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की बधाई दे रहे हैं | जगह - जगह  संस्थाएँ  महिला सशक्तिकरण तथा उनके सम्मान  के लिए कार्यक्रम कर रही हैं | महिलाएँ भी आपस में मिलजुलकर इस दिन को विशेष बनाने में कोई कमी नहीं छोड़ना  चाहती हैं | नेता लोग अपने भाषण  महिला को त्याग  मूर्ति ,बलिदान की देवी आदि नामों  से सम्मानित  भी करते  हैं |  जैसे ही मार्च का महीना आरम्भ हुआ वैसे ही लोगों की  अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस को लेकर प्रतिक्रियाएँ  आने लगती हैं | जावेद अख्तर जी ने कुछ समय पहले एक बड़ी ही सटीक बात कही | उन्होंने कहा की '' एक महिला का सम्मान इसलिए मत करो की वो माँ है या बेटी है या फिर आपकी पत्नी है ,वो सबसे पहले एक स्त्री है ,नारी है ,महिला है |'' 
पहले एक स्त्री केवल घर के  कामों में ही बधीं हुई थी तब वह त्याग ,समर्पण ,बलिदान  इन भारी शब्दों का बोझ उठाने में सक्षम थी | पर आज हमारे पास घर और बाहर दोनों की जिम्मेदरी होती है | हम इन भारी शब्दों का बोझ नहीं उठा पाएँगे  और क्यों उठाएँ ? हम कब तक त्याग की मूर्ति बने रहेंगे और क्यों  ?
हमें स्वार्थी बनना  होगा ,आप अपने आस - पास देखो हर कोई स्वार्थी है ,जो स्वार्थी है वही खुश है और वह दूसरों को भी खुश रख पाता  है  | सबसे पहले आप हमारी प्रकृति को ही देखो ये पेड़ अगर स्वार्थी ना हो तो ये हरा - भरा नहीं रह  पाएगा | ये अपनी जड़ों को फैलाता ही रहता है और अधिक पानी इकठ्ठा करने के लिए |  अगर ये  ऐसा नहीं करेगा तो न तो ये  किसी को छाया दे पाएगा और न ही किसी को फल | प्रकृति  का नियम ही है स्वार्थी  होना | हम दूसरों के लिए तभी कुछ कर पाएँगे  जब हम अपने लिए कुछ करेंगे , अपने आपको खुश रखेंगे और अपने आपको खुश रखने के लिए हमें  स्वार्थी बनना ही पडेगा |  तो आप भी स्वार्थी बनिए और अपने लिए समय निकालिये ,चोबीस घंटों में एक घंटा तो अपने आपको दीजिये | स्वार्थी बनकर खुश रहिये और दूसरों को भी खुश रखिये | आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ  | 

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