श्रीदुर्गाष्टोत्तरशतनाम्स्त्रोतम्
शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने |
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गाप्रीता भवेत् सती ||
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचिनी |
आर्या दुर्गा जया चाद्यात्रिनेत्रा शूलधारिणी ||
पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः |
मनो बुद्धिरहङ्कारा चित्तरूपा चिता चितिः ||
सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरुपिणी |
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः ||
शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा |
सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षाविनाशिनी ||
अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती |
पट्टाम्बरपरिधाना कलमञ्जीररञ्जिनी ||
अमेयविक्रमा क्रूरा सुन्दरी सुरसुन्दरी |
वनदुर्गा च मातङ्गी मतङ्गमुनिपूजिता ||
ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा |
चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृतिः ||
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा |
बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहनवाहना ||
निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी |
मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी ||
सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी |
सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा ||
अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी |
कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यतिः ||
अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा |
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला ||
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रितपस्विनी |
नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी ||
शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी |
कात्यायिनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी ||
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम् |
नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति ||
धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च |
चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम् ||
कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम् |
पूजयेत् परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकं ||
तस्य सिद्धिर्भवेद् देवि सर्वेः सुरवरैरपि |
राजानो दासतां यान्ति राज्यश्रियमवाप्नुयात् ||
गोरोचनालक्तककुङ्कुमेन
सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण ||
विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो
भवेत् सदा धारयते पुरारिः ||
भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते|
विलिख्य प्रपठेत् स्तोत्रं स भवेत् सम्पदां पदम् ||
इति श्रीविश्वसारतन्त्रेदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं समाप्तम् ||
शतनाम प्रवक्ष्यामि शृणुष्व कमलानने |
यस्य प्रसादमात्रेण दुर्गाप्रीता भवेत् सती ||
ॐ सती साध्वी भवप्रीता भवानी भवमोचिनी |
आर्या दुर्गा जया चाद्यात्रिनेत्रा शूलधारिणी ||
पिनाकधारिणी चित्रा चण्डघण्टा महातपाः |
मनो बुद्धिरहङ्कारा चित्तरूपा चिता चितिः ||
सर्वमन्त्रमयी सत्ता सत्यानन्दस्वरुपिणी |
अनन्ता भाविनी भाव्या भव्याभव्या सदागतिः ||
शाम्भवी देवमाता च चिन्ता रत्नप्रिया सदा |
सर्वविद्या दक्षकन्या दक्षाविनाशिनी ||
अपर्णानेकवर्णा च पाटला पाटलावती |
पट्टाम्बरपरिधाना कलमञ्जीररञ्जिनी ||
अमेयविक्रमा क्रूरा सुन्दरी सुरसुन्दरी |
वनदुर्गा च मातङ्गी मतङ्गमुनिपूजिता ||
ब्राह्मी माहेश्वरी चैन्द्री कौमारी वैष्णवी तथा |
चामुण्डा चैव वाराही लक्ष्मीश्च पुरुषाकृतिः ||
विमलोत्कर्षिणी ज्ञाना क्रिया नित्या च बुद्धिदा |
बहुला बहुलप्रेमा सर्ववाहनवाहना ||
निशुम्भशुम्भहननी महिषासुरमर्दिनी |
मधुकैटभहन्त्री च चण्डमुण्डविनाशिनी ||
सर्वासुरविनाशा च सर्वदानवघातिनी |
सर्वशास्त्रमयी सत्या सर्वास्त्रधारिणी तथा ||
अनेकशस्त्रहस्ता च अनेकास्त्रस्य धारिणी |
कुमारी चैककन्या च कैशोरी युवती यतिः ||
अप्रौढा चैव प्रौढा च वृद्धमाता बलप्रदा |
महोदरी मुक्तकेशी घोररूपा महाबला ||
अग्निज्वाला रौद्रमुखी कालरात्रितपस्विनी |
नारायणी भद्रकाली विष्णुमाया जलोदरी ||
शिवदूती कराली च अनन्ता परमेश्वरी |
कात्यायिनी च सावित्री प्रत्यक्षा ब्रह्मवादिनी ||
य इदं प्रपठेन्नित्यं दुर्गानामशताष्टकम् |
नासाध्यं विद्यते देवि त्रिषु लोकेषु पार्वति ||
धनं धान्यं सुतं जायां हयं हस्तिनमेव च |
चतुर्वर्गं तथा चान्ते लभेन्मुक्तिं च शाश्वतीम् ||
कुमारीं पूजयित्वा तु ध्यात्वा देवीं सुरेश्वरीम् |
पूजयेत् परया भक्त्या पठेन्नामशताष्टकं ||
तस्य सिद्धिर्भवेद् देवि सर्वेः सुरवरैरपि |
राजानो दासतां यान्ति राज्यश्रियमवाप्नुयात् ||
गोरोचनालक्तककुङ्कुमेन
सिन्दूरकर्पूरमधुत्रयेण ||
विलिख्य यन्त्रं विधिना विधिज्ञो
भवेत् सदा धारयते पुरारिः ||
भौमावास्यानिशामग्रे चन्द्रे शतभिषां गते|
विलिख्य प्रपठेत् स्तोत्रं स भवेत् सम्पदां पदम् ||
इति श्रीविश्वसारतन्त्रेदुर्गाष्टोत्तरशतनामस्तोत्रं समाप्तम् ||
नवरात्रों की हार्दिक शुभकामनायें |
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी |
तृतीयं चन्द्रघण्तेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ||
पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च |
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ||
नवमं सिद्धिदात्री च नव दुर्गा प्रकीर्तिताः ||
तृतीयं चन्द्रघण्तेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम् ||
पञ्चमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च |
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम् ||
नवमं सिद्धिदात्री च नव दुर्गा प्रकीर्तिताः ||
मां अम्बे की आरती
ओ अम्बे तू है जगदम्बे काली , जय दुर्गे खप्पर वाली , तेरे ही गुण गायें भारती ,
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
तेरे जगत के भक्त जनों पर भीड. पडी है भारी मां , भीड. पडी है भारी ,
दानव दल पर टूट पडो मां -2 करके सिंह सवारी ,
सौ - सौ सिंहों से तू बलशाली ,अष्ट भुजाओं वाली , दुष्टों को तू ही ललकारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
नहीं मांगते धन और दौलत ना चान्दी ना सोना मां , ना चान्दी ना सोना,
हम तो मांगें मां तेरे मन में -2 एक छोटा सा कोना ,
सबकी बिगडी बनाने वाली ,लाज बचाने वाली ,सतियों के सत को संवारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
मां बेटे का है इस जग में बडा ही निर्मल नाता मां , बडा ही निर्मल नाता ,
पूत कापूत सुने हैं पर ना -2 माता सुने कुमाता ,
सबपे करुणा बरसाने वाली , अमृत बरसाने वाली ,नइया भंवर से उबारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
चरण - शरण में खडे हुए हैं ले पूजा की थाली मां , ले पूजा की थाली,
मानवाञ्छित फल देदो माता -2 जाये ना कोई खाली ,
सबके कष्ट मिटाने वाली , झोली भर देने वाली ,दुखियों के दुःख को निवारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
बोलो अम्बे मात की जय |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
तेरे जगत के भक्त जनों पर भीड. पडी है भारी मां , भीड. पडी है भारी ,
दानव दल पर टूट पडो मां -2 करके सिंह सवारी ,
सौ - सौ सिंहों से तू बलशाली ,अष्ट भुजाओं वाली , दुष्टों को तू ही ललकारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
नहीं मांगते धन और दौलत ना चान्दी ना सोना मां , ना चान्दी ना सोना,
हम तो मांगें मां तेरे मन में -2 एक छोटा सा कोना ,
सबकी बिगडी बनाने वाली ,लाज बचाने वाली ,सतियों के सत को संवारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
मां बेटे का है इस जग में बडा ही निर्मल नाता मां , बडा ही निर्मल नाता ,
पूत कापूत सुने हैं पर ना -2 माता सुने कुमाता ,
सबपे करुणा बरसाने वाली , अमृत बरसाने वाली ,नइया भंवर से उबारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
चरण - शरण में खडे हुए हैं ले पूजा की थाली मां , ले पूजा की थाली,
मानवाञ्छित फल देदो माता -2 जाये ना कोई खाली ,
सबके कष्ट मिटाने वाली , झोली भर देने वाली ,दुखियों के दुःख को निवारती |
ओ मइया हम सब उतारें तेरी आरती | अम्बे..........
बोलो अम्बे मात की जय |