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गुरुवार, 28 अगस्त 2014

श्रीगणेश चालीसा तथा श्रीगणेशजी की आरती

श्री गणेशाय नमः|

ॐ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ |
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व कार्येषु सर्वदा ||

ॐ गं गणपतये नमो  नमः |

ॐ एक दन्ताय विद्महे वक्रतुन्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात् |
ॐ सिद्धि बुद्धिसहिताय ,श्रीमन्महागणाधिपतये नमः |                                  
गजाननं भूतगणादिसेवितम् ,
कपित्थ-जम्बू -फल-चारु -भक्षणम् |
उमासुतं शोक - विनाश कारकम् ,
नमामि विघ्नेश्वर-पाद-पङ्कजम् ||
 गणपति के निम्नलिखित बारह नामों का पाठ प्रतिदिन तीन बार करने से शुभ कार्य में कोई विघ्न नहीं आता -
नारद उवाच -
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकं|
 भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायुःकामार्थ सिद्धये ||
प्रथमं वक्रतुण्डं च,एकदन्तं द्वितीयकम् |
तृतीयं कृष्ण पिंगाक्षम् ,गजवक्त्रं चतुर्थकम् ||
 लंबोदरं पंचमं च,षष्ठं विकटमेव च |
सप्तमं विघ्नराजं च धूमवर्णं तथाष्टकं ||
नवमं भालचन्द्रं च ,दशमं तु विनायकम् |
एकादशं गणपतिम् ,द्वादशं तु गजाननम् ||
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं यः पठेन्नरः |
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं परम् ||

श्रीगणेश चालीसा
दोहा -एकदन्त शुभ गजवदन ,विघ्न विनाशक नाम |
श्रीगणेश सिद्धि सदन ,गणनायक सुखधाम|  
मङ्गलमूर्ति महान् श्री ,ऋद्धि-सिद्धि दातार |
 सब देवान में आपको,प्रथम पूज्य अधिकार ||
चौपाई -वक्रतुण्ड श्रीसिद्धि विनायक |जय गणेश सुख सम्पत्ति  दायक||
गिरिजानन्दन,सब गुण सागर |भक्तजनों के भाग्य उजागर ||
श्रीगणेश गणपति सुखदाता |संपत्ति , सुत सौभाग्य प्रदाता ||
राम नाम में दृढ विश्वासा |श्रीमन् नारायण प्रिय दासा ||
 मोदक प्रिय मुषक है वाहन |स्मरण मात्र सब विघ्न नशावन ||
लम्बोदर पीताम्बर धारी |भाल त्रिपुण्ड्र सुशोभित भारी||
मुक्ता-पुष्पमाल गल शोभित |महाकाय भक्तन मन मोहित ||
सुखकर्ता ,दुःखहर्ता देवा|सदा करें संतन जन सेवा |
शरणागत रक्षक गणनायक |भक्तजनों के सदा सहायक ||
शकल शास्त्र सब विद्या ज्ञाता धर्म प्रवक्ता जग विख्याता ||
'महाभारत 'श्रीव्यास बनाया |तब लेखन हित तुम्हें बुलाया ||
शुभ कार्यों में सब नर नारी| प्रथम वन्दना करें तुम्हारी ||
मिट जातीं बाधायें सारी |तुम हो सकल सिद्धि अधिकारी ||
श्रीगणेश के जो गुण गाते |वे जन सकल पदारथ पाते ||
जय गणेश-जय गणपति देवा |तीन लोक करते तब सेवा ||
मास भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी |श्री गणनायक प्रकट जयन्ती ||
श्रद्धा से सब भक्त मनाते |दिव्य चरित महिमा यश गाते ||
श्री गणेश निज भक्त सहायक|विघ्न विनाशक मङ्गल दायक ||
रणथम्भोर दुर्ग गणनायक |महाराष्ट्र के अष्ट विनायक ||
वेद-पुराण-शास्त्र यश गावे |श्रीगणेश सब प्रथम मानावे ||
विघ्नेश्वर श्री सुरप्रिय स्वामी |भक्त करें जय गान स्मरामि ||
सर्वाभीष्ट सिद्धिफल दायक |मोदक प्रिय गणपति गणनायक ||
भालचन्द्र गजमुख शुभकारी|पहले पूजा होत तुम्हारी ||
भक्तजनों को  शुभ वरदायक|श्री गणेश जय वरद विनायक ||
श्री गणेश महिमा अति भारी |इससे परिचित सब नर-नारी ||
गणपति की महिमा सब गाते |ऋद्धि-सिद्धि यश वैभव पाते ||
संकट में जो गणपति ध्यावे |उनके सर्व कष्ट कट  जावे ||
ऋद्धि-सिद्धि बुद्धि बल दायक |सदा सर्वदा विजय प्रदायक ||
वृन्दावन के सिद्ध विनायक |श्रीगणेश ,गणपति गणनायक ||
विघ्न विनाशक,नाम तुम्हारा |करो सिद्ध सब कार्य हमारा ||
सब पर कृपा सदा प्रभु करना |दुःख दारिद्र्य शोक सब हरना ||
श्री मङ्गल विग्रह सुखकारी विनय करो स्वीकार हमारी ||
पत्र पुष्प फल जल लेकर मै |पूजा करें सदा हम घर में ||
जो यह  पठन करें सौ बारा | उन पर गणपति कृपा अपारा ||
एक पाठ भी जो नित करते |उनकी सब विपदायें हरते ||
रोग शोक बन्धन कट  जाते |सुख संपत्ति संतति यश पाते ||
शुभ मङ्गल सुन्दर फल पावे |'श्रीगणेश' चालीसा गावे ||
सफल गजानन करें कामना |भक्त 'गदाधर' रचित प्रार्थना ||
दोहा-श्री गणेश गणपति प्रभो !गणनायक गणराज |
करो सफल मम कामना ,विघ्नेश्वर महाराज ||
श्री गणेशजी की आरती
जय-गणेश , जय-गणेश , जय-गणेश देवा |
माता जाकी पार्वती ,पिता महादेवा ||जय गणेश ..........
पान चढे ,फूल चढे ,और चढे मेवा |
लड्डुन का भोग लागे संत करे सेवा ||जय गणेश ..........
एकदन्त दयावन्त चारभुजा धारी |
मस्तक सिन्दूर सोहै मुसे की सवारी ||जय गणेश ........
अन्धान को आंख देत ,कोढियन को काया |
बांझन को पुत्र देत ,निर्धन को माया ||जय गणेश........

सूर्य श्याम शरण आये सफल कीजै सेवा ||जय गणेश ..... 
दीनन की लाज राखो बन्धु सुतवारी |
कामना को पूर्ण करो जग बलिहारी ||जय गणेश .......
बोलो गणेश महाराज की जय ||

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