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शनिवार, 8 नवंबर 2014

स्त्री शिक्षा का विकास एवं महत्त्व

स्त्री शिक्षा का विकास एवं महत्त्व
महात्मा गाँधी के शब्दों में -'' किसी न किसी प्रकार पुरुष युगों से स्त्री पर शासन करता आ रहा
है और इसीलिए स्त्री में निम्न होने की भावना का विकास हो गया है । ''

स्वामी विवेकानन्द के शब्दों में -'' स्त्रियों को सदैव असहायता और दूसरों पर दासवत निर्भरता
 की शिक्षा दी गई है । ''

पुरुष युगों से स्त्री पर शासन करता आ रहा है । पुरुष ने उसे ज्ञान के आलोक से बाहर अज्ञानता
से आवृत्त रखने में ही अपनी इतिश्री समझी है । तभी से स्त्री ,विवशता की जंजीर में जकड़ी हुई
अपनी  शिक्षा की बाह जोह रही है । आज इस जंजीर की कड़ियाँ धीरे - धीरे टूट रही हैं । स्त्री घर
 की चार दीवारी से  निकल रही  है । आज  वह शिक्षित होकर  बाह्य जगत में प्रवेश  कर रही है
तथा पुरुषों से जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में होड़ ले रही है ।
आज  स्वतंत्र  भारत में स्त्री की सामाजिक  स्थिति में  क्रन्तिकारी  परिवर्तन हो रहा  है । जिन
बंधनों में वह बंधी हुई थी,वे एक - एक करके ढीले होते जा रहे हैं । जिस स्वतंत्रता से उसे वंचित
कर दिया था , वह उसे पुनः प्राप्त हो रही है । स्त्री ने अपने वास्तविक महत्त्व को पहचानना
आरम्भ कर दिया है और वह अपनी गिरी हुई दशा के प्रति सचेत हुई है । इसीलिए आज का
समय स्त्री के जागरण का ,स्त्री के उत्थान का समय बन गया है ।
 स्त्री शिक्षा के बिना भारतीय समाज की संतोषजनक प्रगति नहीं हो सकती है , क्योंकि स्त्रियाँ
सामाजिक रचना की अभिन्न अंग हैं । यदि स्त्री की उपेक्षा होती है तो पुरे समाज के विकास में
और वृद्धि में अवरोध उत्पन्न हो जाता है ।
यदि  हमारे देश की स्त्रियाँ शिक्षित होंगी तो हमें शिक्षित माताएं मिलेंगी जो कि अपने बच्चों में
ईश्वर के प्रति भय तथा सत्य का मूल्यांकन और आनन्द की अनुभूति के गुण उत्पन्न करेंगी ।
इस प्रकार हमारे देश के लोग न केवल प्रतिभावान हो सकेंगे बल्कि उनका परिवार भी शिक्षित
और सुखी होगा ।
स्त्रियों की शिक्षा को एक स्वस्थ तथा सुखी गृहस्थ जीवन की आवश्यकताओं के अनुकूल होना
चाहिए । उन्हें पतिव्रत पत्नियाँ तथा जागरुक माताएँ बनना चाहिए । इसके लिए भारतीय स्त्रियों
को सिलाई , पाकशास्त्र कला ,गृहकार्य ,बच्चों का पालन पोषण आदि ऐसे विषयों का ज्ञान भी
प्राप्त करना होगा ।
इस प्रकार से शिक्षित स्त्री के सहयोग से ही देश का वास्तविक हित होगा ,क्योंकि शिक्षित तथा
धार्मिक माताओं के घर में ही महान पुरुष तथा विदुषी स्त्रयों का जन्म सम्भव होगा ।

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